हरदोई। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाये गये सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान के तहत लोगों को घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया गया। इस अभियान का 28 अगस्त को समापन हो गया था, लेकिन जो परिवार किन्हीं कारणों से छूट गए हैं और जिन्होंने अभी तक दवा खाने से इंकार किया है उन्हें मॉप अप राउंड के तहत दवा खिलाई गई। शनिवार (दो सितम्बर) को इस मॉप अप राउंड का अंतिम दिन है। जो लोग फाइलेरिया रोधी दवा खाने से रह गए हैं वह दवा का सेवन जरूर कर लें। यह बातें सीएमओ डॉ. रोहताश कुमार ने कहीं । सीएमओ ने कहा कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इसका कोई उपचार नहीं है, इससे बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। इसलिए हर किसी को पांच साल लगातार, साल में एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति यह दवा खाने से छूट गया है तो वह मॉप अप राउंड के आखिरी दिन (शनिवार को) स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने दवा जरूर खा ले।
फाइलेरिया किसी को भी हो सकता है, इसलिए भ्रम न पालें और दवा का सेवन जरूर करें। इनसेट दवा के प्रभाव से न घबराएं नोडल अधिकारी डॉ. समीर वैश्य ने बताया कि दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद होने से हो सकता है। दवा खाने के बाद यह परजीवी मरते हैं, तो इस तरह की परेशानी नजर आती है। हालांकि परेशानी कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है। फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है और मच्छरों से बचाव के लिए घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो घबराएं नहीं। तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर परामर्श करें। यह लाइलाज बीमारी है, होने के बाद यह ठीक नहीं होती।
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