विकास मिश्रा सवायजपुर।

विधा :- गीत

आधर:- मनमनोरम छन्द

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हौंसले मजबूत हैं तो लक्ष्य को पाकर रहेंगे, 

चाँद क्या है चाँद के भी पार हम जाकर रहेंगे ।

विश्व में आदर्शवादी, पूज्य पुरखे थे हमारे, 

खोल रक्खे थे जिन्होंने, मर्म के सब गुप्त द्वारे, 

सौर मण्डल,ब्रह्म मण्डल, पर किया था शोध सारा, 

ग्रह सितारों चाँद तारों, का दिया था बोध सारा, 

आज इसरो और नासा, धाक उनकी मानता है

क्योकि ज्योतिष और मन्त्रों को न अब भी जानता है ।

ज्ञान उनका इस धरा पर, हम जगाकर ही रहेंगे, 

भ्रान्ति के इस दुर्ग को अब, क्रान्ति से ढाकर रहेंगे ।।

वक्त के कुछ तेवरों से, रुक गयी थी गति हमारी, 

कुछ विदेशी सभ्यताओं ने छली संस्कृति हमारी, 

पर सनातन चिन्तनों की, रीति-रानी मर न सकती

सुप्त होती कुछ पलों को वक्त पाकर फिर मचलती। 

संस्कारी व्यक्तियों को अब पुनः सम्बल मिला है, 

ज्ञानियों विज्ञानियों के, जोश को फिर बल मिला है 

ज्ञान में, विज्ञान में जब ज्योतिषों का पुट भरेंगे,

चाँद क्या है चाँद के भी पार हम जाकर रहेंगे ।।

खोल दी कुण्डी कहो फिर, यान क्यों असफल हुआ है, 

ली सफलता की निशानी, दक्षिणी ध्रुव को छुआ है, 

विश्व के हर देश से हैं, आज अपना उच्च माथा, 

चन्द्रमा की पीठ पर हम, लिख चुके है शौर्य गाथा, 

रूस, अमरीका जहाँ की, सोंच रखते थे न किंचित,

भूमि मानो कैक्टसों की, आजतक थी जो न सिंचित ।

कर उसे सिंचित उतारा, आज अपना यान हमने,

विश्व को दिखला दिया, विज्ञान का अभियान हमने ।।

रोशनी में सब गये पर, हम तमों को चीर आये, 

और पीछे की नयी अनुभूतियाँ गम्भीर लाये, 

रवि न जाता है जहाँ पर हम वहाँ जाकर रहेंगे ।

हौसले मजबूत हैं तो लक्ष्य को पाकर रहेंगे।।

कवि उदयराज सिंह (उदय) पूर्व अध्यक्ष बार एसोशियेशन तहसील सवायजपुर हरदोई उप्र

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