भैसड़हा गांव के बाहर आसपास जंगल के बीचो-बीच विराजमान शंभू नाथ बाबा।
इसी स्थान पर राजा मनु शतरूपा ने हजारों वर्ष एक पैर पर खड़े होकर की थी तपस्या।
कोथावां/हरदोई। विकासखंड कोथावां के ग्राम सभा हरैया हर्रेया के भैसड़हा गांव के बाहर आसपास जंगलों के बीचो-बीच करीब 300 वर्ष पुराना बाबा शंभू नाथ का मंदिर स्थित है। जहां सावन माह में बाबा के दर्शन हेतु दूर से भक्तों का आने-जाने का सिलसिला लगा रहता है। स्थान पर भागवत कथा,रामायण धार्मिक आयोजन भी हुआ करते हैं।बाबा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
यहां 30 वर्षों से बाबा शंभू नाथ की सेवा में लगे 65 वर्षीय पंडित राजाराम बताते हैं हजारों वर्ष पूर्व मनु शतरूपा यहां एक पैर पर खड़े होकर तपस्या थी। उस दौरान भगवान विष्णु प्रकट होकर वर मांगने को कहा। मनु शतरूपा ने वर मांगा कि आप ही हमारे पुत्र बनकर हमारे घर आए। भगवान ने वरदान देकर वहां से चले गए। त्रेता में राजा मनु दशरथ व रानी शतरूपा कौशल्या बनी भगवान विष्णु ने राम के रूप में जन्म लिया। पुजारी आगे बताते हैं बाबा का डेली सुबह श्रृंगार किया जाता है। शिवलिंग दिन में तीन बार कलर बदलता है। अरसेलिया निवासी बाबा के भक्त कैलाश चंद्र मौर्य बताते हैं बाबा के स्थान पर 15 वर्षों से आता हूं। बाबा सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। सैकड़ो वर्ष पहले यहां अंधे बाबा आए थे।
यही गुफा में विश्राम करते थे।एक दिन वह अपनी गुफा के बाहर निकले हाथ से मिट्टी को हटाया वहां पर शिवलिंग हाथ में जा लगा। जिसको उन्हें साफ सुथरा कर चबूतरा बनाकर पूजा-अर्चना करने लगे।इसके बाद उनकी आंखों में रोशनी आ गई। अंधे बाबा के न रहने के बाद बंशीधर बाबा यहां पर आए और वह शंभू नाथ बाबा की सेवा में लग गए। और मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के पास में ही हवन कुंड यज्ञशाला कमरा बरामदा बना हुआ हैं। आसपास वृक्ष हरियाली आकर्षण का केंद्र है। ग्राम पंचायत हर्रेया प्रधान प्रतिनिधि वीरेंद्र मौर्य ने बताया इस वर्ष बाबा की कृपा से श्रीमद् भागवत कथा का अनुष्ठान कराया है।
भागवत कथा संपन्न होने के बाद हवन पूजन कर विशाल भंडारे का आयोजन में कन्याओं सहित आसपास क्षेत्र के लोगों को प्रसाद खिलाया है। संत महात्माओं को भोजन कराकर अंगवृस्त कमंडल दक्षिणा दान देकर आशीर्वाद लिया। स्थान पर कुछ आगे कार्य कराएंगे जिसमें धर्म के प्रति आस्था रखने वाले भक्त भी सहयोग करें।
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