नवनीत कुमार राम जी\

पिहानी। कस्बे से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों  में स्थिति ज्यादा खराब है। सामुदायिक शास्त्र केंद्र पिहानी  की ओपीडी में आने वाले हर तीसरे मरीज को आंखों में फ्लू की समस्या है। अकेले सीएचसी पर  रोजाना 100 से ज्यादा मरीज इस परेशानी के साथ आ रहे हैं। प्राइवेट क्लीनिको पर भी डॉक्टर सौ से डेढ़ सौ मरीज प्रतिदिन देख रहे हैं। बीते कई सालों में ऐसा पहली बार है जब आई फ्लू के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्पताल  में आई इंफेक्शन, आंखों के लाल होने की समस्या वाले मरीजों की तादाद हर नए दिन के साथ बढ़ रही है। 

डॉक्टरों का कहना है कि आई फ्लू भी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मानसून के दौरान ये बीमारी तेजी से बढ़ती है, लेकिन इस बार काफी ज्यादा केस आ रहे हैं‌। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी इसका शिकार हो रहे हैं। 

  • एपिडेमिक बन रहा है आई फ्लू

सामुदायिक स्वास्थ्य  केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर जितेंद्र श्रीवास्तव  बातचीत में बताया कि जिस हिसाब से आई फ्लू के केस बढ़ रहे हैं ये खतरे का संकेत है। इस समय आई फ्लू एपिडेमिक बन रहा है. यानी, एक ऐसी बीमारी जो अपेक्षा से ज्यादा लोगों में तेजी से फैलती है और किसी एक स्थान तक सीमित नहीं होती।  आई फ्लू की स्थिति भी ऐसी ही है।ये बीमारी पूरे क्षेत्र में फैल रही है। इस बार पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा मरीज आ रहे हैं। आई फ्लू के मरीजों की जिस गांव की शिकायत आती है उस गांव में कैंप लगाकर इलाज किया जाता है।

  • क्या आई फ्लू बन जाएगी महामारी?

इस बारे में डॉक्टर मीशम बताते हैं कि आई फ्लू के केस मानसून में आते ही हैं, हालांकि इस बार ज्यादा मामले आ रहे हैं।  चूंकि ये बीमारी भी एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाती है तो बड़े स्तर पर लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन ये बीमारी किसी पैनडेमिक (महामारी) का रूप नहीं लेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात के खत्म होने के बाद इस बीमारी के केस भी कम होने लगेंगे। ऐसे में लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है।बस जरूरी ये है कि आंखों में दर्द होने या फिर आंखों के लाल होने पर डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज कराएं। 

  • रोकथाम के कदम उठाने होंगे

डाक्टर मुजाबिर हुसैन जैदी  ने बातचीत में बताया कि कई सालों बाद आई फ्लू के इतने अधिक केस आ रहे हैं। ये बीमारी एपिडेमिक का रूप ले रही है। पहले की तुलना में 2 गुना से भी ज्यादा मामले आ रहे हैं। ऐसे में इस बीमारी की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। लोगों को इस बीमारी के लक्षणों को लेकर जागरूक करना होगा।  साथ ही समय पर ट्रीटमेंट भी जरूरी है। 

डॉ  यासीन कहते हैं कि अधिकतर मामलों में ये बीमारी कुछ दिनों में खुद ही ठीक हो जाती है, लेकिन इस बार ज्यादा केस आ रहे हैं। ऐसे में यह पता करना होगा कि बीमारी इतनी तेजी से क्यों फैल रही है।कारण का पता लगातार रोकथाम पर काम करना होगा।‌ ये इसलिए जरूरी है क्योंकि आई फ्लू का संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर लक्षण भी कर सकता है।जिससे आंखों को नुकसान होने की आशंका रहती है।

  • स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचें

कई मरीज आंखों में स्टेरॉयड का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, यह खतरनाक साबित हो सकता है। अभी एक से पांच प्रतिशत मामलों में कॉर्नियल अल्सर का खतरा देखा गया है। पर स्टेरायड का इस्तेमाल कॉर्नियल अल्सर के खतरे को पांच से दस प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।

  • जिसे भी आई फ्लू हो वो डॉक्टर की सलाह से ले आई ड्रॉप

डॉ. गौरव ने बताया कि ओपीडी में आने वाले अधिकांश मरीज संक्रमण होने के तीन से चार दिन बाद क्लीनिक आ रहे हैं। इस दौरान वे घर में पड़ी आई ड्रॉप या दवा दुकानदार की सलाह अनुरूप आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सरासर गलत है। बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी तरह के आई ड्रॉप का इस्तेमाल आंख के लिए घातक साबित हो सकता है। लोगों को सलाह है कि घर में जितने भी लोग आई फ्लू से ग्रस्त हैं, सभी चिकित्सीय परामर्श अनुसार आई ड्रॉप आंखों में डाले। 

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