अतुल कपूर (स्टेट हेड)
विशेष लेख। आत्मविश्वास और प्रभु-विश्वास के सहारे बड़ी से बड़ी सफलताएं अर्जित की जा सकती हैं। भगवान भी उसी की सहायता करते हैं जो अपने ऊपर भरोसा रखता है और अपनी सहायता स्वयं करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देता है। जिस दिन तुम्हें अपने हाथ पैर और दिल पर भरोसा हो जावेगा, उसी दिन तुम्हारी अन्तरात्मा कहेगी कि बाधाओं को कुचल कर तू अकेला चल, अकेला।
जिन व्यक्तियों पर तुमने आशा के विशाल महल बना रखे हैं वे कल्पना के व्योम में विहार करने के समान हैं। अस्थिर, सारहीन, खोखले हैं। दूसरों से अधिक आशा करना भूल है। दूसरों से अधिक उम्मीद करने का मतलब है कि आपने अपनी मौलिक प्रतिभा, अपनी ताकत, अपने अस्तित्व व अपनी सामर्थ्य को दूसरे के हवाले कर दिया। स्वयं अपनी मौलिकता का हास कर अपने साहस को पंगु कर दिया। जो व्यक्ति दूसरों की सहायता पर जीवन यात्रा करता है, वह शीघ्र अकेला रह जाता है।
दूसरों को अपने जीवन का संचालक बना देना ऐसा ही है। जैसा अपनी नौका को ऐसे प्रवाह में डाल देना जिसके अंत का आपको कोई ज्ञान नहीं। क्या गारंटी है कि दूसरा आपकी नाव को पार ही लगा देगा। आजकल ऐसे बनावटी दोस्तों की भी कमी नहीं है जो आपके गांव को भंवर की ही और बढ़ा देंगे और जब आप ढूंढने लगेंगे तो ताली बजाकर हसेंगे भी। यह मत सोचिए कि आप अकेले हैं। अकेला अंगद रावण की सभा में पर जमा कर ऐसा खड़ा हुआ कि रावण को भी पसीना आ गया। एक हनुमान जी पूरी लंका को जला आये।
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