हरदोई। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 10 से 28 अगस्त तक आईडीए अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन पात्र लाभार्थियों को कराया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा राजकीय डिग्री कॉलेज पिहानी में फाईलेरियारोधी दवा का सेवन कराने के लिए बूथ लगाया गया । बूथ का उद्घाटन कॉलेज के प्रधानाध्यापक प्रोफ़ेसर मंगल किरन ने फाइलेरिया रोधी दवाएं आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल का सेवन कर किया । दवा सेवन के बाद प्रधानाचार्य ने कहा कि उन्होंने और उनके कॉलेज के 175 विद्यार्थियों ने भी फाइलेरियारोधी दवाओं का सेवन किया और सभी स्वस्थ हैं इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता जब भी घर पर फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कराएं, सेवन अवश्य करें। किसी भी प्रकार का बहाना न बनाएं दवा पूरी तरह सुरक्षित है।
इस मौके पर दवा प्रदाता संध्या और प्रेमा ने विद्यार्थियों को जानकारी दी कि फाइलेरिया को हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है जो कि मच्छर के काटने से होती है। यह बीमारी लाइलाज है, अगर हो गयी तो ठीक नहीं होती है केवल इसका प्रबंधन ही किया जा सकता है। यह व्यक्ति को आजीवन दिव्यांग बना देती है। इस बीमारी का एक ही इलाज है वह है फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना। इसलिए स्वयं भी दवा का सेवन करें और परिवार को आस पड़ोस के लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करने के लिए प्रेरित करें। यह दवा एक साल से काम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को करनी है। खाली पेट फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन नहीं करना है। उन्होंने कहा कि फाइलेरियारोधी दवा के सेवन से किसी किसी व्यक्ति में जी मिचलाना, उलटी और चक्कर की समस्या हो सकती है।
इसका तात्पर्य यह कि उस व्यक्ति में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद इन परजीवियों के मरने के कारण यह प्रतिक्रिया होती है जो कि अपने आप ठीक हो जाएगी। इस मौके पर एनएसएस के समन्वयक डा. लक्ष्मी नारायण, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, विद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी और स्वयंसेवी संस्था प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के प्रतिनिधि मौजूद रहे ।
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