नवनीत कुमार राम जी
पिहानी। बुधवार को मोहर्रम के चांद की तस्दीक होते ही शोक की लहर दौड़ गई। शिया महिलाओं ने कर्बला के शहीदों की याद में चूड़ियां तोड़ दीं और काला मातमी लिबास पहन लिया। पुलिस प्रशासन ने भी पूरी तरह मोहर्रम को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए कमर कस ली है।
मुहर्रम का चांद दिखने के बाद से ही सभी शिया मुस्लिम पूरे 2 महीने 8 दिनों तक शोक मनाते हैं. इस दौरान वे लाल सुर्ख और चमक वाले कपड़े नहीं पहनते हैं। ज्यादातर काले रंग के ही कपड़े पहनते हैं। मुहर्रम के दौरान शिया समुदाय के घरों में खुशी के पकवान नहीं बनते हैं। जैसे, जर्दा (मीठे चावल), मिठाइयां, मछली, मुर्गा आदि. खासकर कढ़ाइयों में तली जाने वाली चीजें बनाने से परहेज करते हैं।दरअसल मोहर्रम एक महीना है, इसी महीने से इस्लाम धर्म के नए साल की शुरुआत होती है। मोहर्रम की 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम मनाया जाता है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन के मानने वाले खुद को तकलीफ देकर इमाम हुसैन की याद में मातम मनाते हैं।
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