हरदोई। बरसात के पानी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हम गंदे पानी वाले हाथ अपनी आंखों पर लगा देते हैं या अंजाने में लग जाते हैं। उसके कारण आंखों में सूजन फ्लू आंखें लाल होना जैसी कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इस मौसम में सब्जी फल खरीदने के बाद उसके रखरखाव में एहतियात नहीं बरती जाती जिस कारण बीमारियां पनप रही हैं। कस्बे में लगभग आधा सैकड़ा लोग आंखों की फ्लू बीमारी से परेशान चल रहे हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के यहां इस बीमारी के चलते मरीजों की भीड़ लगी हुई है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ मझिया गांव निवासी गौरव सिंह की मानें तो बरसात के इस मौसम में आंखों के एहतियात की खासी जरूरत है, इस समय परिवार में हर तीसरा आदमी आंखों की फ्लू की बीमारी का आ रहा है, इस पर जल्द ध्यान ना दिया जाए तो कोर्निया पर असर पड़ सकता है और आंखों को खतरा हो सकता है। इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा इलाज है। डॉ गौरव सिंह ने माना कि बीमारी टचिंग से आ रही है, इसका अर्थ ये है जिसे आखों का फ्लू है या दर्द हो रहा है तो घर में उसका तोलिया, रूमाल जो कोई भी इस्तेमाल कर रहा है उसे आंखों की ये बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। घर में यदि पांच लोग हैं तो पूरे परिवार को ये बीमारी केवल टचिंग के कारण अपनी चपेट में ले रही है।

असल में बरसात की आपदा या तेज बरसात के बाद पानी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हम गंदे पानी वाले हाथ अपनी आंखों पर लगा देते हैं या वो जाने अंजाने लग जाते हैं। उसके कारण आंखों में सूजन, फ्लू, आंखें लाल होना जैसी कई समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। जिससे आजकल लोग जूझ रहे हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ शफीउल्लाह  खान कहते हैं कि आई फ्लू जिसे कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है। आंखों की एक बीमारी है। आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को आंखों में जलन, दर्द व लालपन जैसी समस्या झेलनी पड़ती है। ये बीमारी एक खास तरह के एलर्जिक रिएक्शन की वजह से होता है, लेकिन कई मामलों में बैक्टीरिया का संक्रमण भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है। श्वसन तंत्र या नाक-कान अथवा गले में किसी तरह के संक्रमण के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है। संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी चपेट में आ जाती है। 

  • फैलती है ये बीमारी

बरसात में फंगल इन्फेक्शन समेत हवा में प्रदूषण, वातावरण में नमी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसकी वजह से मरीजों को आंख से जुड़ी परेशानियां होती हैं. इस मौसम में आंखों का सही ध्यान रखने से मरीज की परेशानियां कम हो सकती हैं. ऐसे लोग जो आंखो में कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं, उन्हें विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। 

  • क्या है लक्षण

आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं। आंखों से पानी आने लगता है।  तेज जलन होती है। पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है।‌आंखों में चुभन होने के साथ-साथ सूजन आ जाती है। आंखों से पानी आना और खुजली होना।  संक्रमण अधिक बढ़ जाने पर आंखों में हेमरेज, किमोसिज हो जाता है और पलकों में सूजन आ जाती है। अगर इंफेक्शन गहरा हो तो इसकी वजह से आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है। मॉनसून सीजन में आई फ्लू का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा रहता है।

  • आंखो को बार-बार न छूएं 

आंखो को साफ करने के लिए टिश्यू पेपर या साफ कपड़े का इस्तमाल करें.।इस्तमाल करने के बाद उपयोग किये टिश्यू पेपर या कपड़ें को फेंक दे.।ध्यान रहे कि आप दोबारा उसका उपयोग न करें। 

  • किसी से भी आई टू आई कांटेक्ट न बनाएं। 
  • टीवी या मोबाइल से दूर रहें
  • आई फ्लू के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
  • आंखों को साफ पानी से धोते रहें।
  • आई फ्लू होने पर आखों में चश्मा पहन सकते हैं। 
  • अपने हाथों को नियमित रूप से हैंडवॉश से साफ करते रहें।
  • आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं।
  • किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
  • ऐसी समस्या होने पर बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं। आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें।
  • आंखों पर बर्फ की सिंकाई भी जलन और दर्द से राहत दिलाती है।
  • गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीज़ें, जैसे- चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं। इसी तरह अपना तौलिया, रूमाल और चश्मा आदि किसी के साथ शेयर न करें।

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