हरदोई। विश्व रक्तदान दिवस पर 35 महा दानियों ने एक बार फिर मेडिकल कालेज की ब्लड बैंक को 35 यूनिट ब्लड दे कर इंसानियत के दूत बन कर सामने आए। पिछले कई महीनों में कोई बड़ा रक्तदान शिविर न होने की वजह से खून का खजाना खाली होने की कगार पर पहुंच चुका था। 13 जून को केवल 22 यूनिट ब्लड ही बचा था। बुधवार को विश्व रक्तदाता दिवस पर महादानियों ने एक बार फिर सामने आ कर इंसानियत के दूत बने। इस दौरान 35 महा दानियों ने रक्तदान किया।

मेडिकल कालेज की ब्लड बैंक की ओर से एक निजी नर्सिंग इंस्टीट्यूट में लगाए गए शिविर में 16 लोगों ने रक्तदान किया। इसके अलावा कई लोग ब्लड बैंक में खुद आकर स्वैच्छिक रक्तदान कर गए। विश्व रक्तदाता दिवस पर हुए रक्तदान के बाद अब ब्लड बैंक में 57 यूनिट ब्लड जमा हो गया है। रक्तदान करने के लिए लगातार लोगों को जागरुक किया जा रहा है। अधिक से अधिक लोग जागरुक हों और रक्तदान करें इसके लिए एक सप्ताह तक विश्व रक्तदाता सप्ताह मनाया जाएगा। 

  • 64 बार कर चुके रक्तदान !

हरदोई। कोतवाली देहात के नानकगंज निवासी राजू सिंह सोमवंशी अब तक 64 बार रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने अपनी पत्नी के लिए साल 2007 में रक्तदान किया था। तब उन्हें  पता चला था कि रक्तदान कितना ज़रूरी है। तब से वह लगातार रक्तदान कर रहे हैं और दूसरों को भी इसके लिए जागरुक कर रहे हैं। रक्तदान करने और कराने को अपना दायित्व मानते हुए उन्होंने एक समिति भी बनाई है। उनके मुताबिक समिति के माध्यम से वह हरदोई से लेकर दिल्ली और कई ज़िलों में अपनी टीम की सहायता से ज़रूरतमंदों से खून का रिश्ता कायम कर चुके हैं।

  • कहां गायब रहे सामाजिक संगठन ?

हरदोई। रक्तदान महादान के बाद भी  सामाजिक संगठनों का भी कोई खास सहयोग नहीं रहता है। कहते हैं कि नर सेवा ही नारायण सेवा है, लेकिन फिर भी समाज सेवा का दावा करने वाले सामाजिक संगठन ऐसे वक्त कहां गुम हो जाते हैं। किसी एक ज़रूरतमंद को अनेक लोग कपड़े का एक टुकड़ा देते हुए सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए आगे रहते हैं, लेकिन जब रक्तदान जिससे किसी ज़िंदगी बचाई जा सकती है,उसके लिए हमेशा पीछे रहने वाले ऐसे सामाजिक संगठनों को लोग बहुत कुछ कह जाते हैं। 'लोगों का काम है कहना' कह कर अपना पल्ला झाड़ते वाले और कुछ कहने की ताकत भी नहीं रखते हैं। उन्ही लोगों का ऐसा ही कहना है।

'अधिक से अधिक रक्तदान के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है। ज्यादा कैम्प लगें, इसका भी प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही खून की कमी का संकट खत्म हो जाएगा'

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