हरदोई बुद्ध जयंती पर जिले के विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम हुए। बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। नगर में शोभायात्रा निकालकर बुद्ध के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। रैली में बड़ी संख्या में बुद्ध अनुयायी नगर के विभिन्न मार्गों से निकले। उन्होंने लोगों को बुद्ध के कृतित्व एवं व्यक्तित्व से अवगत कराया। 

मोहल्ला आजाद नगर स्थित राजकुमार कपिल एडवोकेट के आवास पर बुद्ध हाल, में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर विश्व गुरु तथागत गौतम बुद्ध की त्रिविधि पावन वैशाखी पूर्णिमा पर 2567 ने बुद्ध जयंती का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित उपासक/ उपासिकाओं के मध्य कार्यक्रम के आयोजक राजकुमार कपिल एडवोकेट, डायरेक्टर/उपाध्यक्ष नगर विकास सहकारी बैंक लिमिटेड में तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया और प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए गए। तत्पश्चात उपस्थित उपासक/उपासिकाओं ने बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इसके पश्चात सभी उपस्थित जनों द्वारा सामूहिक बुद्ध वंदना पंचशील ग्रहण किया गया। कार्यक्रम के आयोजन राजकुमार कपिल ने सभी उपस्थितजनों को बताया कि बुद्ध का धम्म  वैज्ञानिकता पर आधारित है। बुद्ध के धम्म के आधार पर चीन, जापान आदि देशों ने बहुत ही उन्नत की है। दुनिया के अधिकतर देश बुद्ध के अनुयाई है। बुद्ध के धम्म के आधार पर भारत दुनिया के अग्रणी देशों में गिना जाता है। बुद्ध का धम्म समानता स्वतंत्रता बंधुता के आधार पर भाईचारा सिखाता है। बुद्ध को मानने वाला व्यक्ति प्रखर का होता है। वह कभी भी निराश नहीं होता न ही कभी हार मानता है। संघर्ष मेहनत पर विश्वास करके आगे बढ़ता है और बढ़ने के लिए प्रेरित करता है तथा द्वेष भावना से रहित होकर बुध के मध्यम मार्ग का अनुकरण  करता है। धम्म सभा के बाद उपस्थित उपासक/उपासिकाओं को खीर ग्रहण कराई गई। धम्म  सभा का समापन इंजी. अश्वघोष कपिल ने सभी की मंगल कामना के साथ किया। इस अवसर पर अपने विचार रखने वालों में इंजी अश्वघोष कपिल, मनोरमा कपिल,  दाताराम वर्मा , शिखा कपिल, दीक्षा कपिल मंजेश ,रामनाथ, उषा देवी, रमेश चंद्र वर्मा आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर कार्यक्रम में काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

कछौना संवाददाता के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर स्मृति शेष सुरेन्द्र प्रकाश वर्मा राष्ट्रीय स्मारक एवं बौद्ध बिहार कछौना में बुद्ध जयंती धूमधाम से मनायी गयी। भन्ते करुणानंद ने गौतमबुद्ध की वंदना की। उपस्थितजन पुरुष, महिलाएं, बच्चों ने भगवान बुद्ध को पुष्प अर्पित कर उनको नमन किया। भगवान बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डाला गया। आज से 2500 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के उपवन लुम्बिनी में हुआ था। कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने नैहर (मायके) के रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई और वहीं उन्होंने एक बालक को जन्म दिया। बालक का नाम सिद्धार्थ रखा गया। गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण ये गौतम कहलाये। सिद्वार्थ बचपन से ही करुणायुक्त और गंभीर स्वभाव के थे। इनका विवाह सुन्दर कन्या यशोधरा से हुआ था। यशोधरा से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया। उनका मन गृहस्थी में नही लगा। ये एक दिन भ्रमण पर निकले। संसार के कष्ट देखकर इनका मन बेचैन हो गया और एक दिन चुपके से पत्नी व बच्चे को छोड़कर वन को चल दिये। संसारिक सुखों को त्यागकर कठोर तपस्या कर दुखों से मुक्ति के लिए मार्ग तलाशने निकल पड़े। कठोर तपस्या से शरीर दुर्बल हो गया, परन्तु मन को शांति नहीं मिली तब उन्होंने मध्यम मार्ग अपनाया। पेड़ के नीचे ध्यान लगाकर बैठ गए। फिर एक दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और ये सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए। वह पेड़ बोधिवृक्ष के नाम से प्रसिद्ध हुआ। महात्मा बुद्ध के उपदेश सीधे सादे थे। संसार दुखों से भरा है जिसका कारण इच्छा है। उन्होंने लोगों को बताया कि सम्यकदृष्टि, सम्यकभाव, सम्यक भाषण, सम्यक व्यवहार, सम्यक निर्वाह, सत्य पालन, सत्य विचार, सत्य ध्यान से मनुष्य की तृष्णा मिट जाती है। भगवान बुद्ध के उपदेश आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। इस अवसर पर स्व. सुरेन्द्र प्रकाश वर्मा की पत्नी कुंती मौर्य, भाजपा के युवा नेता पंकज शुक्ला, डॉ. अरुण मौर्य, मुरली मौर्य आदि ने बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया। प्रसाद के रूप में सभी को खीर दान की गई।

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