हरदोई। पत्नी को विदा कराने ससुराल पहुंचें दामाद ने जो किया,उसे सुन कर रोंगटे खड़े हो गए। उसने बेटी को फिलहाल विदा न करने की बात कहने वाले अपने ससुर की पत्थर से सिर कुचल कर हत्या कर दी।इस तरह की सनसनीखेज़ वारदात बेहटा गोकुल थाने के काजीबाड़ी गांव की बताई जा रही है। पुलिस ने भागने से पहले ही उस हत्यारे दामाद को दबोच लिया।

बताया गया है कि बेहटा गोकुल थाने काजीवाड़ी निवासी 66 वर्षीय रामचन्द्र पुत्र केदार ने अपनी बेटी अंशू की शादी शाहजहांपुर ज़िले के बेहटी थाना सेहरामऊ दक्षिणी निवासी ब्रजेश के साथ की थी। रामचन्द्र करीब तीन महीने पहले अपनी बेटी को ससुराल से विदा करा कर लाया था। शनिवार की शाम को ब्रजेश अंशू को विदा कराने के लिए अपनी ससुराल आया। रविवार की सुबह उसने ससुर रामचन्द्र से अंशू को विदा करने की बात कही। जिस पर ससुर रामचन्द्र ने फिलहाल विदा करने से मना कर दिया। फिर क्या ब्रजेश इसी बात पर ऐसा खफा हुआ कि उसने अपना आपा खो दिया और पत्थर उठा कर ससुर के सिर पर दे मारा। जिससे रामचन्द्र खून से लथपथ हो कर वहीं गिर पड़ा। घर वाले उसे सीएचसी टोंडरपुर ले जा रहे थे,इसी बीच उसने रास्ते में दम तोड़ दिया। वारदात का पता होते ही वहां पहुंची पुलिस ने हत्यारे दामाद को कहीं भागने से पहले ही दबोच लिया। इस बारे में एसएचओ बेहटा गोकुल रंधा सिंह ने बताया है कि शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। फिलहाल अभी कोई तहरीर नहीं आई है। उसके आते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

  • विदा करने के वादे से क्यों किया इंकार ?

हरदोई। अंशू अपने पिता की इकलौती बेटी है। उसके दो बेटे हैं। शादी के बाद से ही ब्रजेश आए दिन अंशू को मारता-पीटता था। इस बारे में जब रामचन्द्र को पता चला तो वह यही सोंच कर बेटी को विदा करा लाया था कि जब तक ब्रजेश का रवैया नहीं बदलेगा,तब तक वह अंशू को विदा नहीं करेगा। इसी वजह से रामचन्द्र ने अंशू को विदा करने से साफ मना कर दिया था। उसका मना करना ही उसकी मौत का सबब बन गया।

  • मोह-माया से कर चुका था किनारा

हरदोई। काजीबाड़ी के रामचन्द्र का परिवार पूरी तरह से खुशहाल था।इकलौती बेटी की शादी करने के बाद मानो उसने सारे तीर्थ कर लिए थे।उसके बाद से ही वह माया-मोह से किनारा करते हुए महात्मा बन चुका था। वैसे उसे कोई मतलब नहीं था, फिर भी लाडली बेटी की ऐसी हालत देखी नहीं गई और उसने दामाद के रवैए में बदलाव लाने के लिए विदा न करने की बात कही थी। उसका ऐसा सोंचना घर वालों को ज़िंदगी भर सोंचने के लिए मजबूर कर देगा,ऐसी किसी को उम्मीद नहीं थी।

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