नवनीत कुमार राम जी
पिहानी। आर्ट आफ लिविंग के छह दिवसीय कार्यक्रम के समापन के अवसर पर विकासखंड की स्वर्गीय प्रकाश चंद्र बाजपेई सभागार में आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक ब्लाक प्रमुख कुशी बाजपेई ने कहा कि दिन प्रतिदन के तनाव और खिंचाव के बीच खुश रहकर जीवन का आनंद लेना ही आर्ट ऑफ लिविंग है। यह एक तकनीक है, जिसके माध्यम से तनाव और चिंताओं को दूर कर जीवन में खुशी और आनंद लाने की कला सीखी जाती है। इस अवधारणा की लोकप्रियता का पता इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अब इसे कॉरपोरेट लेवल पर भी अपनाया जा रहा है। विभिन्न कंपनियां अपने कर्मचारियों को अति तनाव के माहौल से बाहर उबारने के लिए इस कला का उपयोग कर रही हैं।
कुशी वाजपेई ने कहा कि सुदर्शन दो शब्द के मेल से बना है सु तथा दर्शन । सु का अर्थ है सुंदर तथा दर्शन का अर्थ है देखना । क्रिया का अर्थ है एक अच्छा काम । इस प्रकार इसका सम्पूर्ण अर्थ हुआ स्वयं को या अपने को अच्छी तरह देखने का काम । आर्ट आफ लिविंग के बेसिक कोर्स का सबसे महत्वपूर्ण और अभिन्न हिस्सा है सुदर्शन क्रिया । विशेष रूप से स्वयं का विकास करने के लिये कोर्स के दौरान सुदर्शन क्त्रिया का ज्ञान व अभ्यास कराया जाता है । यह एक अतिविशिष्ट तकनीक है और पूर्णत: व्यवहारिक है। सुदर्शन क्रिया सांस लेने की एक विशेष व क्रमबद्व तकनीक है। यह एक अद़भूत लययुक्त श्वसन प्रक्रिया है। आर्ट आफ लिविंग की कार्यशाला में कराई जाने वाली सुदर्शन क्रिया में व्यक्ति की श्वास सोउ हम की ध्वनि के द्वारा नियंत्रित की जाती है । सो का अर्थ है सांस अंदर लेना और हम यानी सांस बाहर छोडना। पूरी क्रिया में कई चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में लंबी, मध्यम, और निम्न श्वासन क्रिया (सांस अंदर बाहर) अलग-अलग लय और तीव्रताओं के कराई जाती है । गुरूजी की आवाज में रिकार्ड सोउहम बीजमंत्र के द्वारा कार्यशाला में प्रशिक्षार्थियों को सुदर्शन क्रिया का अभ्यास कराया जाता है। कार्यशाला समाप्त होने के उपरांत कार्यशाला में प्रशिक्षकों द्वारा दिये गये निर्देशानुसार इस घर पर भी नियमित रूप से करना होता है । सुदर्शन क्त्रिया व्यक्ति के भीतर की सफाई करने का कार्य करती है।
मीरा गैस एजेंसी के मैनेजर दुर्गेश पांडे ने कहा कि अच्छा और बुरा दोनों सापेक्ष हैं। आर्ट ऑफ लिविंग का यह पहला सिद्धांत है कि विरोधी मूल्य पूरक होते हैं। दुनिया में कुछ भी पूरी तरह अच्छा और पूरी तरह बुरा नहीं होता। दूध अच्छा है लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह हानिकारक भी होता है। इसी तरह जहर खतरनाक है लेकिन कभी-कभी वह जीवनरक्षक हो जाता है। सभी जीवनरक्षक दवाएं जहरीली होती हैं। इसीलिए मैं कहता हूं कि अच्छा और बुरा सापेक्ष स्थितियां हैं। विभेदकारी जागरूकता से ही आप सत्य को पा सकते हैं।
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