राकेश अचल का लेख। सावन के पवित्र माह में चंद्रयान- 3 की अभूतपूर्व सफलता के बाद भाला फेंक में नीरज ने देशवासियों को यह नई सफलता  देकर आनंद से भावविभोर कर दिया है। इस वर्ष का अधिमास सहित सावन अंतरिक्ष व क्रीड़ा जगत में नयी क्रांति का माह बन रहा है। 

एथलेटिक्स की भालाफेंक प्रतियोगिता में भारत के नीराज चोपड़ा ने हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैपिंयनशिप के फाइनल में पहली बार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। भालाफेंक में भारत को स्वर्ण  दिलाने वाले वह पहले भारतीय  एथलीटबन गये हैं।नीरज की सफलता से आज संपूर्ण भारत गर्वित व आनंदित  है। नीरज की स्वर्णिम सफलता पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरे देश ने बधाई दी है। नीरज ने इस सफलता के साथ ही अगले ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। नीरज ने फाइनल में 88.17 मीटर भाला फेंक कर  स्वर्ण पदक जीता। 

बुडापेस्ट एथलेटिक्स चैपियनशिप में पहली बार भारत के तीन खिलाड़ी भालाफेंक प्रतियोगिता  में फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। जिसमें किशोर जेना अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पांचवें स्थान पर रहे  जिनका स्कोर 84.77 और डी पी मनु छठे स्थान पर रहे जिनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 84.14 रहा। नीरज चोपड़ा के लिए यही एक प्रतियोगिता बची थी जिसमें उन्हें स्वर्ण नहीं मिला था और वह सपना भी इस बार पूरा हो गया है। इससे पूर्व वह इसी प्रतियागिता में रजत पदक प्राप्त कर चुके हैं। 

इससे पूर्व टोक्यो ओलम्पिक में नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर एक इतिहास रचा था। तब नीरज ने 87.58 मीटर की थ्रो के साथ भारत की झोली में पहला स्वर्ण डाला था जिसके साथ ही पूरा देश खुशी से झूम उठा था और नीरज को  कई मंचों पर सम्मानित किया गया था। 

भालाफेंक प्रतियोगिता में नीरज भारत के युवाओं के लिए आदर्श बनकर उभरे हैं। जब नीरज ने पहली बार ओलपिंक में स्वर्ण जीता तो संपूर्ण भारत में उनके व भाला फेंक के लिए दीवानगी युवाओं में देखी गयी थी। आज भारत में 7 अगस्त को इसलिए भाला फेंक दिवस भी मनाया जाता है क्योकि इसी दिन स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रचा था। यही कारण है कि भाला फेंक में अगस्त का महीना क्रांति ला रहा है। 7 अगस्त को पूरे भारत में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस दिवस को मानाने का उद्देश्य भारत में जेवलिन थ्रो को बढ़ावा देना है।  

नीरज चोपड़ा के खेल जीवन की यात्रा नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैपिंयनशिप 2012 में स्वर्ण पदक जीतने से प्रारम्भ हुई जो अभी तक जारी है। नीरज ने 2018 के एशियाई खेलों  व 2020 के ओलपिंक में स्वर्ण पदक जीता। वर्ल्ड चैपिंयनशिप 2022 में सिल्वर पदक जीता।2018 में नीरज को अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।इसके बाद इन्हें 2020 में विशिष्ट सेवा मेडल, 2021 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड  2022 में पद्मश्री और परम विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। नीरज चोपड़ा ने मई 2023 में दोहा डायमंड लीग 2023 में 88.67 मीटर से पहला स्थान प्राप्त कर देश को गर्वित किया था। नीरज आज देश के युवाओं को एक उर्जावान संदेश दे रहे हैं और हर भारतवासी को आनंदित कर रहे हैं।

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