हरदोई। भीम ब्रिगेड ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव जोली खोसला ने आज अमर शहीद मंगल पांडे जी के जन्मदिवस पर पुष्पांजलि देते हुए कहा कि ऐसे क्रांतिकारी थे मंगल पांडे जिन्हें फांसी देने के लिए जल्लादों ने भी हाथ खड़े कर दिए थे। क्रांतिकारी मंगल पांडे जी का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। कुछ सन्दर्भों में इनका जन्म स्थल फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर ग्राम में बताया गया है। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। वे कलकत्ता (कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में "34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री" की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे। भारत की आजादी की पहली लड़ाई अर्थात् 1857 के संग्राम की शुरुआत उन्हीं द्वारा अपने साथियों के साथ की।
“मारो फिरंगी को” नारा भारत की स्वाधीनता के लिए सर्वप्रथम आवाज उठाने वाले क्रांतिकारी “मंगल पांडे” की जुबां से निकला था. मंगल पांडे को आजादी का सर्वप्रथम क्रांतिकारी माना जाता है. 'फिरंगी' अर्थात् 'अंग्रेज़' या ब्रिटिश जो उस समय देश को गुलाम बनाए हुए थे, को क्रांतिकारियों और भारतियों द्वारा फिरंगी नाम से पुकारा जाता था. आपको बता दें, गुलाम जनता और सैनिकों के दिल में क्रांति की जल रही आग को धधकाने के लिए और लड़कर आजादी लेने की इच्छा को दर्शाने के लिए यह नारा मंगल पांडे द्वारा गुंजाया गया था।
8 अप्रैल, 1857 का दिन मंगल पांडे की फांसी के लिए निश्चित किया गया था। आपको बता दें, बैरकपुर के जल्लादों ने मंगल पांडे के खून से अपने हाथ रंगने से इनकार कर दिया. तब कलकत्ता (कोलकाता) से चार जल्लाद बुलाए गए. 8 अप्रैल, 1857 के सूर्य ने उदित होकर मंगल पांडे के बलिदान का समाचार संसार में प्रसारित कर दिया. भारत के एक वीर पुत्र ने आजादी के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी. वहीं उस दिन की याद में भारत सरकार ने बैरकपुर में शहीद मंगल पांडे महाउद्यान के नाम से उसी जगह पर उद्यान बनवाया था।आज हम सब भारतीयों का कर्तव्य है कि मंगल पांडे जैसी सोच रखने वाला पूरे भारत में हो जिससे विरोधी ताकते भारत में पैर फैलाने का सोच भी ना सके हिंदू ,मुस्लिम, सिख ,ईसाई सभी मिलकर विरोधी ताकतों का खुलकर विरोध करें।
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