• मोर्हरम में रखे गए एक रोज़े के बदले एक साल के गुनाह माफ़ होते हैं

पिहानी। अंजुमन खुद्दामें सहाबा ज़ेरे एहतमाम 16 रोज़ा जलसे के सातवें दिन हज़रत मौलाना अब्दुल्ला इब्ने मसूद ने खिताब करते हुए कहा कि अल्लाह नियत पर फैसला करता है। इंसान ने बस अपने दिल मे कोई छोटी से छोटी बात को सोंचा और अल्लाह ने फैसला कर दिया।अल्लाह हर चीज़ पे क़ादिर है। मौलाना ने कहा कि मोहर्रम का महीना बड़ा बा-बरकत महीना है। नवीं और 10 वीं मोहर्रम को रोज़ा रखना चाहिए। मोर्हरम का रोज़ा एक साल के गुनाह माफ कर देगा।

उन्होंने आगे कहा कि 10 वीं मोर्हरम को अच्छे से अच्छे पकवान बनाना चाहिए, इस से अल्लाह पाक पूरे साल रोज़ी में बरकत आता फरमाएगा। बहराइच से आए हज़रत मौलाना अमीन नूरी ने खिताब करते हुए कहा कि हुज़ूर की एक-एक अदा पर अपनी जां निसार करने वाले अदना से अदना सहाबी का मर्तबा बहुत आला है नबी सिपाही है। सहाबा ने ही दीन पहुंचाया। मौलाना ने कहा बद्र की जंग में सहाबा की मदद के लिए अल्लाह ने फरिश्तों को भेजा। उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि अपने आप को ईमान वाला कहते हैं,क़ुरआन वाला कहते हैं,लेकिन ये सब कहने की बातें है,पहले सहाबा जैसा जज़्बा पैदा करो फिर अल्लाह की मदद भी आएगी और सब मुश्किलें हल होती चली जाएंगी।

जलसे की सदारत मौलाना रूहुल्लाह ने की। निज़ामत हाफिज़ अतीकुर्रहमान इमाम मस्जिद उस्मान-ए-गनी ने की। हाफ़िज़ महमूद की तिलावते क़ुरआन पाक से जलसे का आगाज़ हुआ। मोहम्मद खालिद व हाफिज़ सुफियान ने नआत-ओ-मनकबत पेश की। 

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