- हिंदू धर्म के अनुसार पत्नी को अर्धांगिनी कहा जाता है। स्त्री को घर की लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
विशेष लेख। सनातन धर्म में गरुड़ पुराण को 18 महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण माना जाता है। गरुड़ पुराण में 271 अध्याय और 18 हजार श्लोक हैं। ज्यादातर लोग गरुड़ पुराण ग्रंथ को किसी की मृत्यु के बाद पढ़ा जाने वाला ग्रंथ मानते हैं, लेकिन इस महापुराण के 16 अध्याय में पाप-पुण्य, जीवन-मरण, नरक और पुनर्जन्म के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण कर्मों के अनुसार मृत्यु के बाद की स्थितियों और लोकों के बारे में उल्लेख करता है। इसके साथ ही गरुड़ पुराण में बेहतर जीवन जीने के लिए नीति और नियम, जप, तप और यज्ञ के बारे में भी बताया गया है।
गरुड़ पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि स्त्री के कर्तव्य और गुण उसके पति के साथ उसके परिवार के लिए भाग्यशाली साबित होते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार पत्नी को अर्धांगिनी कहा जाता है। स्त्री को घर की लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसलिए स्त्री में भी कुछ ऐसे गुण भी होने चाहिए, जिससे कि घर-परिवार में सदैव खुशहाली बनी रहे। खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत करने के लिए पति और पत्नी दोनों के लिए ही कर्तव्य बनाए गए हैं और पति-पत्नी दोनों को अपने-अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए। गरुड़ पुराण में पत्नी के कर्तव्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
- गृहस्थी चलाना
गरुड़ पुराण के अनुसार विवाह के बाद गृहस्थी चलाना पत्नी का परम कर्तव्य होता है। शादी के बाद पत्नी को पति के साथ उसके परिवार को अपना मानकर सभी सदस्यों की सेवा करनी चाहिए। घर-परिवार के सभी सदस्य छोटे-बड़ों का सम्मान करना चाहिए। घर के बड़े-बुजुर्गो की बात का सम्मान करना चाहिए। घर के सभी कार्यों को मन लगाकर करना चाहिए। ऐसी पत्नी परिवार के लिए भाग्यशाली मानी जाती है । इससे उस घर में कभी कलेश भी नहीं होता है। वह स्त्री पति और परिवार के लिए भाग्यशाली होती हैं। ऐसी पत्नी गरुड़ पुराण के अनुसार अतिउत्तम गुणों वाली मानी जाती हैं।
- पतिव्रता
एक पतिव्रता स्त्री को हमेशा अपने पति की सेवा करना चाहिए। पतिव्रता स्त्री पति की हर बात को सुनती है तथा उनका सम्मान करती है। ऐसी स्त्री से पति भी बहुत प्रसन्न रहता है। पत्नी के इन कर्तव्यों से रिश्ते में क्लेश नहीं होता।
- भाषा
पत्नी का कर्तव्य है कि वह अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें तथा संयमित भाषा का प्रयोग करें। पत्नी की भाषा पुरे परिवार के सदस्यों के संस्कार को दर्शाती है। इसलिए भूलकर भी ऐसी भाषा का प्रयोग न करे, जिससे किसी के सम्मान को ठेस पहुंचे और घर में क्लेश की स्थिति उत्पन्न हो।
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