हरदोई। समाज में उन्हीं लोगों का नाम अमर होता है, जिन्होंने अपना जीवन समाज के वंचित वर्ग के लिए समर्पित किया हो। लोग अपने लिए अपने परिवार के लिए ज्यादा से ज्यादा अपने समाज के लिए कुछ योगदान करते है। लेकिन निर्मला देशपांडे ने अपना जीवन सम्पूर्ण विष्व के लिए अर्पित किया। वे दुनिया में गाँधी विनोबा विचार की वाहिका मानी जाती थी। देखा जाये तो मानवता के विचार को जन-जन तक पहुंचाने वाली थी।

उक्त विचार विनोबा सेवा आश्रम द्वारा निर्मला देशपांडे की 15वीं पुण्यतिथि पर आयोजित निर्मल भवन शिलान्यास समारोह में राष्ट्रीय मानवता पुरस्कार से सम्मानित रमेश भईया ने व्यक्त करते हुए कहा ‘‘कि निर्मला  दीदी विश्व की आवाज को दुनिया के हर कोने में पहुंचाने का काम करती थी, वो बिहार की ग्राम सभा से लेकर  दिल्ली की राज्यसभा तक उन गरीब लोगों की आवाज को बुलन्द करती रही। जो अपनी आवाज मुख्र नहीं कर सकते थे। दुनिया के पीड़ित देश  निर्माला दीदी को आवाज देते थे, और वे वहॉ पर गाँधी विनोबा की सेवक बन कर पहुॅच जाती थी।

जमुना लाल वजाज पुरस्कार से सम्मानित विमला बहन ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा ‘‘ कि हम लोग गॉधी को नहीं देखे विनोबा जी को देखे, सुने लेकिन साथ में काम नहीं किये, लेकिन निर्मला दीदी के साथ बहुत काम करने का मौका मिला वे शांति सेना के सिपाही के रूप में जहां भी काम का अवसर देती थी । हम सब उनकी आवाज पर हर जगह पहुँच जाते थे, और वे बडी से बडी समस्या का हल इन्हीं वानर, भालुओं के परिश्रम से कर देती थी सरकार भी उनको अनेक चुनौती पूर्ण कार्यो के लिए बुलाती थी आज समाज में वैसे नेतृत्व की आवश्यकता महसूस हो रही है। क्योंकि बाबा विनोबा की तीसरी शक्ति जो जनता और सत्ता के बीच में पुल का काम करती थी। उसका आज अभाव दीख रहा है। 

कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए निदेशक बिश्शन कुमार ने कहा ‘‘कि दीदी के नाम से निर्मल सभागार का आज शिलान्यास हो रहा है जिसकी पूर्णता दीदी के जन्मदिन 17 अक्टूबर तक करने का संकल्प लिया गया है। जो दीदी की स्मृति में मील का पत्थर साबित होगा। दीदी ने मुझे गढ़ चिरौली में काम करने का आवाहन किया था।विनोबा सेबा आश्रम की सलाहकार सीना शर्मा ने एक सुन्दर पुस्तकालय बनाने का संकल्प लिया जिससे नयी पीढ़ी को महा पुरूषों के जीवन के बारे में बताया जा सके।

निर्मल भवन शिलान्यास के अवसर पर नारियल फोड़ा गया। इस अवसर पर कमला सिंह, आशा सक्सेना, मृदुला, अनिल सिंह, डॉ0 संजीव, इतसाम तथा अमर सिंह भाई ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मुदित कुमार ने किया धन्यवाद के. पी. सिंह ने दिया।

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