हरदोई। आईआईआईटी की पढ़ाई कर रहा छात्र अमन अहमद मणिपुर के इम्फाल में फैली जातीय हिंसा में फंस गया। इस बात का पता चलते ही उसके घर वालों में बेचैनी पैदा हो गई। हर कोई उसकी ही नहीं बल्कि वहां फंसे हर किसी की सलामती के लिए की गई दुआएं कुबूल की और अमन अपने घर लौट आया। उसके सलामत लौटने के लिए हर कोई सरकार की सराहना करते नहीं थक रहा है।

बताते चलें कि मल्लावां कोतवाली के मेंहदीपुर का अमन अहमद मणिपुर इम्फाल में आईआईआईटी की पढ़ाई करने गया हुआ था। इम्फाल से तकरीबन 63 किलोमीटर दूर जातीय हिंसा फैल गई। जिसमें तमाम लोगों की जाने चली गईं और तमाम घर से बे-घर हो गए। सैकड़ों लोग उस जातीय हिंसा में फंस गए, उनमें मेंहदीपुर का अमन भी था। इस बारे में जब उसके घर वालों को पता चला तो उनके अंदर बेचैनी घर कर गई। अमन किस हाल में होगा, क्या उसने कुछ खाया होगा या नहीं, उसके ऊपर क्या गुज़र रही होगी' हर कोई इन्ही सवालों में उलझा हुआ था। उधर सरकार ने वहां फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए कोशिशें और तेज़ कर दी।

सरकार ने मंगलवार को आईआईआईटी के छात्र अमन अहमद के साथ वहां फंसे हुए लोगों को किसी तरह बाहर निकाल कर उन्हें फ्लाइट से दिल्ली भेजा। जहां से अमन बुधवार की सुबह अपने घर लौटा। उसे देखते ही घर वालों के चेहरों पर खुशी दौड़ गई। हर किसी ने उसे अपने गले लगाया और सलामत लौटने के लिए उसके सिर पर हाथ फेरा। हर कोई इस बात के लिए सरकार की सराहना कर रहा है जिसकी वजह से आईआईआईटी का छात्र अमन सलामती के साथ अपने घर वालों के बीच है।

  • पलक बंद कर लूं, कहीं छलक न जाए

मेंहदीपुर का अमन जब अपने घर वालों के सामने पहुंचा तो उसे देखते ही आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। वहां लोगों का कुछ ऐसा ही हाल था कि 'खुशी मिली इतनी कि मन में न समाए,पलक बंद कर लूं कहीं छलक न जाए' खुशी के उस पल के बीच कुछ देर के लिए खामोशी छा गई। उसके बाद लोग वहां के हालात के बारे में उससे सवाल-जवाब करने लगे।

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