हरदोई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हरदोई के तत्वाधान में एवं सचिव/ तहसीलदार नरेन्द्र कुमार यादव के निर्देश पर ग्राम प्रधान मुनेन्द्र की उपस्तिथि में पंचायत भवन आँझी में पशु क्रूरता व पशुओं के बचाव के विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। लीगल एड क्लीनिक मोहम्मद शाजेब सिद्दीकी ने बताया कि भारत में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस ऐक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है।
मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस ऐक्ट में शामिल हैं। जैसे, अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है, या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा। इसके अलावा अगर कोई किसी पशु को मनोरंजन के लिए अपने पास रखता है और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है तो वह भी अपराध है। ये सभी संज्ञेय और जमानती अपराध होते हैं, जिनकी सुनवाई कोई भी मैजिस्ट्रेट कर सकता है। ऐसे अपराधों के लिए कम से कम 10 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही अधिकतम तीन साल की सजा हो सकती है। शिविर में पी एल वी राघवेन्द्र विक्रम सिंह, लालता प्रसाद, सुशील कुमार व सूरज अग्निहोत्री आदि लोग उपस्थित रहे।
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