हरदोई। कोतवाली शाहाबाद की पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग के नाम पर लोगों से मनमाने तरीके से वसूली की जा रही है। कभी गाड़ी के कागजात तो कभी हेलमेट न पहनने की वजह से वाहन जब्ती की कार्रवाई का डर दिखाकर जमकर अवैध वसूली हो रही है। रोजाना शाम को पुलिस की वाहन चेकिंग से पथ विक्रेताओं,ठेला, खोमचा, मिठाई की दुकानों एवं जनरल स्टोर आदि का व्यापार,कारोबार ठप सा हो गया। छोटे दुकानदार पुलिस को कोस रहे हैं।
इस बाबत व्यापारियों का कहना है कि पहले वाहन चैकिंग पुलिस अधीक्षक,हरदोई के आदेश पर महीने दो महीने में एक दो बार होती थी।परंतु अब तो रोजाना चेकिंग कर पुलिस अपनी आमदनी बढ़ाने में लगी है। कुछ मामलों में पीड़ित लोगों की मानें तो यहां पुलिस जाम हटवाने से ज्यादा अवैध वसूली में लगी रहती है। पुलिस वाहन चेकिंग के नाम पर बिना हेलमेट के चलने वालों से 100-200 रुपए लेकर उन्हें छोड़ देती है। अगर कोई पैसे देने में आनाकानी करता है तो उसका चालान काट दिया जाता है। इसके अलावा पुलिस द्वारा गालियां भी दी जाती हैं। यह पुलिस वालों का धंधा एक दिन का नहीं, बल्कि हमेशा का है। पुलिस द्वारा की जा रही चैकिंग के नाम पर वसूली नहीं रुक पा रही है। पुलिस द्वारा व्यवस्थाओं और कामकाज से ज्यादा सड़कों पर खड़े होकर वाहनों को रोककर डराया जाता है और पुलिस कर्मियोंं द्वारा चालान करने की धमकी देकर अपनी जेबें गरम की जा रही हैं।
पुलिस द्वारा कभी बस स्टैंड तो कभी आंझी रैली क्रॉसिंग पर वाहनों की चैकिंग की जा रही है। कुछ लोग कार्रवाई होने के डर से पुलिस कर्मी को कुछ खर्चा पानी देकर निकल लेते हैं तो वहीं कुछ लोगों द्वारा लंबा इंतजार करने के बाद उन्हें छोड़ा जाता है।
यहां उल्लेखनीय है कि ड्राइविंग करते वक्त वाहन चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी), वाहन का बीमा व वैलिड पल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट होना चाहिए।आरसी और इंश्योरेंस सर्टिफिकेट आदि की फोटो कॉपी भी अपने पास रख सकते हैं।
जानकार बताते हैं कि ट्रैफिक के नियम तोडऩे पर ट्रैफिक पुलिस के पास यह अधिकार है कि वह नियम तोडऩे वाले का लाइसेंस जब्त कर सकती है। लाइसेंस की यह जब्ती तीन महीने के लिए होती है। साथ ही रेड लाइट जंप करना, सामान की ओवरलोडिंग, बोझा ढोने वाले वाहनों में सवारी लेकर चलना, शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाना, ड्राइविंग करते हुए मोबाइल पर बात करना और ओवर स्पीड आदि।
ऑन द स्पॉट चालान ,यह चालान तब काटे जाते हैं, जब नियम तोडऩे वाले को पुलिस रंगे हाथों पकड़ लेती है और उसे चालान थमाकर वहीं पर जुर्माना वसूल लेती है। कोई अगर उस वक्त जुर्माना नहीं भरना चाहे तो पुलिस डीएल जमा कराकर चालान दे देती है। जिसे बाद में जमा कराया जा सकता है। अगर कोई नियम तोड़कर भाग गया तो पुलिस उसका नंबर नोट कर उसके घर चालान भिजवा देती है। इस चालान का जुर्माना भरने के लिए आरोपी को एक महीने का वक्त दिया जाता है। अगर समय पर जुर्माना नहीं भरा गया तो चालान कोर्ट भेज दिया जाता है।
कोर्ट के चालान आमतौर पर कानून तोडऩे की ऐसी गंभीर घटनाओं में दिए जाते हैं। जिनमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है। कौन कर सकता है फाइन : हेड कांस्टेबल से ऊपर का ट्रैफिक ऑफिसर यानी एएसआई या एसआई ही जुर्माना कर सकता है। कॉन्स्टेबल को फाइन करने का हक नहीं है। वह सिर्फ गाड़ी का नंबर नोट कर सकते हैं।
पुलिस चलती गाड़ी से चाबी खींचकर आपको नहीं रोक सकती।सामने से आते वाहन को रोकने के लिए चलते वाहन पर चालक का हाथ नहीं पकड़ सकती।चार पहिया वाहन के सामने अचानक बैरीकेड्स नहीं लगा सकती।यदि सड़क पर चाबी खींचकर या दबाव देकर पुलिस जवान आपको रोकते हैं तो वाहन चालक के पास अधिकार होता है कि वह वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी शिकायत कर सकते हैं।
फिलहाल बस स्टैण्ड शाहाबाद पर रोजाना पुलिस की वाहन चेकिंग से न केवल व्यापारी,कारोबारी परेशान हैं बल्कि बड़ी संख्या में आवागमन करने वाले राहगीर भी परेशान हैं।यहां के लोगों के लिए पुलिस मित्र नहीं वल्कि शत्रु बन चुकी है। शाहाबाद पुलिस के नाकारेपन पर मास्टर वहीद खां वहीद ने लिखा है कि हर तरफ अन्याय अत्याचार,उत्पीड़न दमन, सोंचता हूं दोस्त, तुमने सौंप दिया,किसको अपना चमन। खुदा खैर करे।
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