- विवाह पवित्र संस्कार समलैंगिक का समर्थन गलत - संत समाज
- संतो ने एक बार एक स्वर में समलैंगिक विवाह पर जताई आपत्ति कहा इससे समाज और संस्कृति दोनों को होगा नुकसान- संत समाज
हरदोई। हरदोई में सोमवार को विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में संतों ने पत्रकार वार्ता में कहा कि समलैंगिक विवाह भारतीय संस्कृति और समाज के खिलाफ है और बताया कि यदि कोर्ट से इसकी अनुमति मिलती है तो वे इसके लिए उग्र आंदोलन करेंगे और साथ ही सरकार से आग्रह किया कि यदि कोर्ट से इसकी मान्यता मिलती है तो समाज और संस्कृति को बचाने के लिए संसद में कानून लाकर उसे पलट देना चाहिए में बालाजी मंदिर के महंत नागेंद्र दास ने कहा कि सनातन धर्म में विवाह पवित्र संस्कार है समझौता नहीं कहा कि सनातन धर्म में ऐसे संस्कार सात जन्मों के लिए होते हैं समलैंगिक विवाह की मान्यता एक तरह से सनातन धर्म पर प्रहार है इसका समर्थन गलत है।
उन्होंने कहा कि स्त्री और पुरुष से विवाह होता है इससे समाज और परिवार का जुड़ाव रहता है समलैंगिक का निर्णय सामाजिक ढांचे को भी ध्वस्त कर सकता है राघव आश्रम के पूज्य दंडी स्वामी से ने कहा कि समलैंगिक विवाह एक तरह से आपराधिक आचरण है परिवार समाज और संस्कार के लिए यह निर्णय अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है या समाज को विकृत के कगार पर ले जाएगा। समलैंगिक विवाह मानवीय दृष्टिकोण से भी ठीक नहीं है। शास्त्रों के अनुसार नर और नारी विवाह की मान्यता है। इसमें विवाह भोग नहीं बल्कि अच्छी संस्कारित संतान उत्पत्ति के लिए होता है।
इस पत्रकार वार्ता में विश्व हिंदू परिषद अवध प्रांत के सह प्रांत मंत्री प्रवीण जिला कार्याध्यक्ष मोहित जिला मंत्री गौरव बजरंग दल के जिला संयोजक ऋषभ प्रचार प्रमुख नागेंद्र सिंह सम्पर्क प्रमुख सुशील जिला उपाध्यक्ष हिमांशू और सहजिला मंत्री रवी उपस्थित रहे।
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