विजयलक्ष्मी सिंह (एडिटर-इन-चीफ)
शाहाबाद\हरदोई। तालाब का नाम आते ही, आंखों के सामने, पानी में तैरती मछलियां और गर्मियों में नहाते जानवर का चित्रण आ जाता है। अगर कहा जाए कि तालाब में गेंहू की फसल खड़ी और घास, फूस के लिए जानवर घूमते हैं तो आश्चर्य ही नहीं कोई मानने को तैयार नहीं होगा, लेकिन यह आश्चर्य ही सच्चाई है। आइये आपको रूबरू कराते है हकीकत से-
- तालाब की जमीन पर गेहूँ की फसल, जाने पूरा मामला।
तहसील शाहाबाद क्षेत्र के ग्राम विलालपुर, मजरा शर्मा के निवासी रामजी ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देते हुए अवगत कराया कि ग्राम सभा शर्मा फत्तेपुर में स्थित तालाब गाटा सं० 830 रकवा 13 हे० दिनांक 10.08.2020 को मत्स्य जीवी समिति स्थित ग्राम शर्मा जिसमें मुख्य प्रर्वतक रामनिवास पुत्र रामखेलावन निवासी ग्राम शर्मा के नाम 10 वर्ष के लिए 1,30,000 /-रूपये प्रतिवर्ष काफी कम धनराशि का उक्त पट्टा मत्स्य पालन हेतु आवंटित किया गया है। लेकिन उक्त समिति के सदस्यों के अतिरिक्त दबंग कमलेश सिंह पुत्र राजाबक्श सिंह निवासी ग्राम विलालपुर तथा रामराज पुत्र शिवनन्दन सिंह निवासी ग्राम शर्मा द्वारा (सरकारी आवंटित तालाब की भूमि) मत्स्य जीवी समिति को आवंटित किया गया पट्टा जिस पर अवैध रूप से मत्स्य पालन न कर गेहूँ की फसल बोए हुए हैं। अब इसे दबंगई कही जाए या फिर मत्स्य विभाग की मिली जुली साजिश? यह एक गम्भीर जांच का विषय है।
- सरकार गरीबों के जीवन-यापन के लिए करती है तालाब का पट्टा, लेकिन रसुखदार ले रहे फायदा।
आपको बताते चले कि सरकार तालाबों का अस्तित्व बचाने व ग्रामीणों की जीविका बनाए रखने के साथ ही गाँव के आसपास का जल स्तर सुधारने के लिए सरकार कि तरफ से कई योजनाए चलाई जा रही है उनमे से एक मत्स्य जीवी समिति के द्वारा ग्रामीणो को आवंटित तालाब में मछली पालन होता है तो कहीं सिघाड़े डाले जाते। ऐसे भी गांव हैं जहां तालाबों में कमल की खेती होती। लेकिन राजनीतिक ठेकेदारों व जिला प्रशासन की मिली भगत से अब तो धीरे धीरे तालाबों पर ही संकट खड़ा हो गया। ग्राम पंचायतों के सार्वजनिक तालाबों का जिनके नाम मछली, सिघांड़ा आदि के लिए पट्टा है वह अब धान, गेंहू की खेती करने लगे। जिनके नाम पट्टा है उन्हें तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन मोटी मलाई कोई और ही खा रहा है और राजस्व को करोड़ो का चूना लगाया जा रहा है।
- मत्स्य विभाग को भनक तक नहीं।
सबसे खास बात यह कि मत्स्य विभाग व जिला प्रशासन को भनक तक नहीं, या फिर जान कर अंजान बना बैठा है। सबसे बड़ी बात यह है की कुछ राजनीतिक ठेकेदारों की वजह से गरीब को उसका हक नहीं मिल पा रहा है, मत्स्य जीवी समिति को आवंटित पट्टा किया गरीबों को जाता है पर फायदा दूसरे उठा रहे है। साथ ही न जाने और कितने पट्टे ऐसे और होंगे जिस पर खेती हो रही होगी अगर इस मामले की गम्भीरता से जांच की जाए तो कई मामले सामने आएगे। अब देखना यह है कि मत्स्य विभाग व जिला प्रशासन इस मामले पर क्या कार्यवाही करता है।
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