हरदोई। विकास खंड सांडी में फसल अवशेष प्रबंधन योजना अंतर्गत किसानों को बताया गया कि खेतों पर पराली प्रबंधन हेतु मशीन द्वारा फसलों की बुवाई करनी चाहिए के लाभ व महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई -प्रथम द्वारा विकास खंड स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ मुकेश सिंह ने किसान भाइयों को समझाते हुए यह बताया कि पराली का खेत में मिलाने से भूमि में जीवांश पदार्थ की मात्रा में बढ़ोतरी होती है । और जलाने से मृदा की जीवांश पदार्थ की मात्रा में काफी नुकसान होता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसान भाइयों को फसलों के अवशेष को किसी भी दशा में जलाना नहीं चाहिए। अगर कोई किसान भाई फसल अवशेष जलाता है तो उस किसान के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाती है।


इस अवसर पर केंद्र के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ सी पी एन गौतम  ने बताया कि फसलों के अवशेष को जलाने से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है जिससे मनुष्य में  विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न होते हैं। मृदा में उपस्थित लाभदायक जीवाणु व कीट मर जाते हैं। जिससे फसलों में रोग व हानिकारक कीटों की संभावना बनी रहती है। फसलों के अवशेषों को जलाने के बजाय वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग करके सड़ा कर खेत में खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ग्राम प्रधान, कटरी छोछपुर  श्री अशोक कुमार राजपूत ने कहा की किसान भाइयों को फसलों के अवशेषों को नहीं जलाना चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि खंड विकास अधिकारी, सांडी  विजय नारायण राजपूत ने बताया कि पराली जलाने से वातावरण का नुकसान कैसे होता है के बारे में बखूबी से बताया। कटियारी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीईओ सुबोध सिंह ने बताया कि किसान भाई पराली नहीं जलाएं और जो किसान भाई पराली बेचना चाहते हैं  वे हमारे  को बेच सकते हैं। एडीओ एजी, सांडी ने कहा कि किसानों को फसल अवशेष की खाद बनाकर खेतों में डालना चाहिए। राजकीय कृषि विभाग के विजय कुमार पांडे ने बताया कि कृषि विभाग किसान भाइयों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु कृषि मशीनीकरण योजना के अंतर्गत कृषि यंत्र को खरीदने पर अनुदान देता है। इस अवसर पर विभिन्न ग्राम सभाओ के ग्राम प्रधान व  100 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया।

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