कछौना\हरदोई। ऐतिहासिक 84 कोसी परिक्रमा का चौथा पड़ाव श्री राम, जय राम, जय जय राम के उद्घोष के साथ रामादल मेला ग्राम उमरारी में पूरी रात परिक्रमार्थी आस्था के सैलाब के साथ रात में रामाधुन के साथ विश्राम किया। पूरी रात परिक्रमार्थी आस्था के सैलाब में डूबे रहें। कई जनपदों के लाखों श्रद्धालुओं ने परिक्रमा में भाग लिया। जिसमें कई पन्थों के संत व गृहस्थ श्रद्धालुओं ने भाग लिया। साधु-संतों ने बताया यह परिक्रमा सनातन है। जिसमें आत्मा को शांति मिलती है। इस परिक्रमा से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। साधु संतों ने तंबू लगाकर बिना कोई चिंता लोभ माया के परिक्रमा में तल्लीन थे। परिक्रमा में कोई हाथी, घोड़े व बैल गाड़ी, टैक्टर ट्रॉली, पैदल शामिल थे। चारों तरफ सड़क के किनारे बाग में साधु संतों के डेरे ही दिखाई दे रहे थे।
जो भारतीय संस्कृति का संदेश दे रहे थे। मनुष्य आधुनिक संसाधनों में जीने वाला बिना कोई संसाधन के जंगलों में डेरा डाल कर जीवन जीने का संदेश दे रहे हैं। परिक्रमा समिति के सचिव महंत संतोष दास ने बताया करोड़ों रुपए का बजट जारी होने के बाद भी प्रशासन द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गए। सड़कों की हालत काफी खराब है, संत महात्मा नंगे पांव इस मार्ग पर चलने के कारण पैरों में छाले पड़ गए। स्वच्छ भारत का ढ़िढोरा पीटने वाली सरकार मात्र एक मोबाइल लैट्रिन भेजी, वह भी सफाई न होने के कारण अनुप्रयोग रहीं। जिसके कारण लाखों पुरुष महिलाएं संत खुले में शौच क्रिया करने को विवश है। पूरे परिक्रमा स्थल में मात्र दो इंडिया मार्क नल लगे हैं। पानी का टैंकर खाली होने के बाद दोबारा वापस नहीं आया।, जिसके कारण पेयजल का संकट रहा। यात्री निवास काफी खराब बने होने के कारण मसाला उखड़ रहा था। जिससे श्रद्धालु रात में रुकने से आंखों में बालू पड़ गई, प्रकाश व्यवस्था का भी इंतजाम नहीं किया गया था।
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